ghalib shayari in urdu | गालिब शायरी इन उर्दू सेड लव

ghalib shayari in urdu sad love | गालिब शायरी इन उर्दू सेड लव 

ghalib shayari in urdu | गालिब शायरी इन उर्दू सेड लव

उसने कहा तुम बोलती बहुत हो,
तो मैंने भी मुस्कुरा के कह दिया,

जो तू कर ले वादा,
मेरी ख़ामोशी को पढ़ने का,
खिलौने की तरह,
बे-आवाज़ होने को तैयार हूँ मैं ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

Urdu Shayari Iqbal and Ghalib

एक हक़ीक़त ये भी है दोस्तों,

जो मोहब्बत पर खूब लिखते हैं,
वो मोहब्बत करना बहुत पहले छोड़ चुके होते हैं ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

अच्छा लगता है तुम भी पढ़ते हो मुझे,
ज़ाहिर नहीं होने देते ये अलग बात है ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

Mirza Ghalib best poetry

किसे खोज़ रहे हो तुम इस गुमनाम सी दुनियां में,
हम लफ़्ज़ों में जीने वाले अब ख़ामोशी में रहते हैं ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

एक सवाल सबसे जवाब देंगे क्या ?

एक रचना/कलाम खूबसूरत कैसे होती है ?

🤷‍♀🤔
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

Ghalib Quotes In Urdu

किसी को सवाल किसी को जवाब पसन्द नहीं आता,
किसी किसी को 'अक़िला' का कोलैब पसन्द नहीं आता ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

वो नए जमाने का लड़का है,
मुझसे इश्क़ बेशक बेहिसाब करता है ।

तोहफ़ा-ए-इश्क़ में वो गुलाब नहीं,
मुझे अक्सर हिज़ाब दिया करता है ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

Mirza Ghalib poetry in Hindi

ना जाने क्यों हर शख़्स में,
तेरा ही अक्स नज़र आता है ।

बात इतनी भी मामूल ना रहती मगर,
हर पल तेरा ही यूँ अंदाज़ नज़र आता है ।

क्या कहें कि शख़्सियत तेरी,
हो रही है अब 'अक़िला' पर हावी,
या ये वजूद मेरा कुछ तुझसा नज़र आता है ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

Ghalib best Poetry In Urdu

कितने ही धागों में उलझी थी मैं,
तेरे आने से पहले ।

अब तो सिर्फ़ तुम तक ही,
हर डोर दिखाई देती है ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

याद आएगी हर रोज मगर तुझे,
आवाज़ ना दूंगी ।

मैं लिखूंगी तेरे लिए ही हर ग़ज़ल,
मगर तेरा नाम ना लुंगी ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

Ghalib Shayari In Urdu text

उम्र बिना रुके सफर कर रही है,
और हम ख्वाहिशें लेकर वही खड़े हैं ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

मैंने थोड़ी सी रोशनी मांगी थी ज़िंदगी में,
चाहने वाले ने तो आग ही लगा दी ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

Ghalib Poetry on love

खो गईं हूँ इस भीड़ में,
ख़ुद को भुलाती जाती हूँ ।

पहले बात बात पर बहस करती थी,
अब तो बस ख़ामोश होते जाती हूँ ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

ना वो तुम रहे ना वो हम रहे,
बस ज़ज्बातों के ग़म वो गम रहे ।

अच्छा है बरखुदार की,
अब हमदोनो एक दूसरे को अलविदा कहें ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

Ghalib Shayari In Urdu love

जिद पर है अड़ा तेरे लिए दिल को बेवकूफ बनाया जाए,
कोई तो हो तुम सा जिससे दिल को बहलाया जाए ।

कहते हैं लोग होते हैं कई एक जैसे लोग इस दुनिया में,
कोई तो हो तुम सा जिसे तेरी जफाओं की कहानी सुनायी जाए ।

बिलकुल भी मकसद नहीं है 'अक़िला' तुझे बदनाम करने का,
कोई तो हो तुम सा बस इतना है कि उसे अपना बनाया जाए ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

Ghalib Shayari in Urdu English

ये क्या है जो मुझे इतना परेशान कर रहा है,
शायद मेरे बागवां से टूट के कुछ जा रहा है ।
एक ही जिंदगी थी वो भी उनके नाम कर दिया,
खैरात में मिली जान उसने भरे बाजार नीलाम कर दिया ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

ऐ जिंदगी ये बता अब तु 'अक़िला' क्या क्या करवाएगी,
क्या मेरा कत्ल मुझसे खुद करवाएगी ?
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

Ghalib Shayari on zindagi In Urdu

वो कहीं नहीं है फिर भी साथ रहता है,
जाने ये कैसे ख़्यालात है ।

फ़ासले है बहुत फिर भी पास रहता है,
जाने ये कैसे लम्हात है ।

पूछना चाहती हूँ फिर भी चुप रहती हूँ,
जाने ये कैसे सवालात है ।

बहुत सी बातें है फिर भी अधूरी रहती है,
जाने ये कैसी हर बात है।

मिला नहीं कभी फिर भी मिल लेती हूँ,
जाने ये कैसी मुलाकात है ।

सिरहन सी है फिर भी भीगे से ज़िस्म है,
जाने ये कैसे हालात है ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

Mirza Ghalib ghazal

(लो आज फ़िर किसी ने पूछ ही लिया🤔🤷‍♀)
Aap khud se likhti ho na

ये वो आह हैं साहब,
जो दिल से निकलकर कोरे कागज पर फैल जाते हैं ।

कलम खुद से कहाँ चलती हैं जनाब,
ये वो ज़ज्बात हैं मचलकर सँवर जाते हैं ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

ग़र हो गया हो यकीन तो तवज़्ज़ो दे देना,
ये वो एहसासात हैं जो पढ़ने वालों को अपना मालूम होता है ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

तारीफ़ के मोहताज़ नहीं होते कुछ सच्चे लोग,
क्योंकि फूलों पर कभी इत्र लगाया नहीं जाता ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

Shayari on rishtey By Ghalib in Urdu

अपने लफ़्ज़ों से हर दिल अज़ीज बन बैठे हैं,
वो एक दोस्त जो उस्ताद रूपी ताबीज़ बन बैठे हैं ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

समझती हूं ख़ुद को कभी ख़ुद से नाराज़ हो जाती हूँ,
कुछ इस तरह मैं अपनी ज़िंदगी की हर रात बिताती हूँ ।
‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿️‿︵‿︵‿︵‿︵‿︵‿

अहम के ख़्यालात से बहुत दूर है,
'अक़िला' ख़ुद ही ख़ुद के लिए मशहूर है ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ