rahat indori famous shayari
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें,
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें..!!
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गीतकार राहत इंदौरी
बोतलें खोल कर तो पी बरसों,
आज दिल खोल कर भी पी जाए..!!
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ज़ुबाँ तो खोल नज़र तो मिला जवाब तो दे,
मैं कितनी बार लूटा हूँ मुझे हिसाब तो दे..!!
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राहत इंदौरी मोटिवेशनल शायरी
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी..!!
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बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए,
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए..!!
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राहत इंदौरी शायरी हिंदी image
जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए,
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए..!!
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घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया,
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है..!!
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राहत इंदौरी शायरी रेख़्ता
ना हम-सफ़र ना किसी हम-नशीं से निकलेगा,
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा..!!
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ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ायम रहे,
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो..!!
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राहत इंदौरी शायरी हिंदी 1 लाइन
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है
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मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।
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राहत इंदौरी शायरी हिंदी 2 लाइन
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ
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नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है
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राहत इंदौरी बेवफा शायरी
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
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मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी
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राहत इंदौरी शायरी हिंदी मौत
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए
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बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए
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राहत इंदौरी की ग़ज़ल
मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए
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शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
सूरज सितारे चाँद मिरे सात में रहे
जब तक तुम्हारे हात मिरे हात में रहे
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कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है
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राहत इंदौरी शायरी हिंदी राजनीति
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
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रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है..!!
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राहत इंदौरी शायरी हिंदी 4 लाइन
इश्क़ में जीत के आने के लिए काफी हूं,
मैं निहत्था ही जमाने के लिए काफी हूं,
मेरी हर हकीकत को मेरी ख़ाक समझने वाले,
मैं तेरी नींद उड़ाने के लिए हीं काफी हूं..!!
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मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए..!!
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नए किरदार आते जा रहे हैं,
मगर नाटक पुराना चल रहा है..!!
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