tehzeeb hafi shayari | तहजीब हाफी शायरी

tehzeeb hafi shayari | तहजीब हाफी शायरी 

tehzeeb hafi shayari | तहजीब हाफी शायरी

यही कहीं हमें रस्तों ने बद्दुआ दी थी

मगर मैं भुल गया और कौन था मेरे साथ।। 

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अकेला आदमी हूँ और अचानक आये हो, 

जो कुछ था हाजिर है अगर तुम आने से पहले बता देते तो कुछ अच्छा बना लेता। 

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तहजीब हाफी instagram

अगर कभी तेरे नाम पर जंग हो गई तो 

हम ऐसे बुजदिल भी पहले सफ में खड़े मिलेगे।।

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मैं फूल हूँ तो तेरे बालो में क्यों नहीं  हूँ 

तू तीर है तो मेरे कलेजे के पर हो 

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एक आस्तीन चढ़ाने की आदत को छोड़ कर 

हाफी  तुम आदमी तो बहुत शानदार हो  

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ये भी सच है मुझे कभी उसने कुछ ना कहा 

ये भी सच है कि उस औरत से छुपा कुछ नहीं था।। 

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Tehzeeb Hafi Shayari in Hindi

तुझे ये सड़के मेरे तवस्सुत से जानती हैं

तुझे हमेशा ये सब इशारे खुले मिलेंगे।

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उसकी जबान में इतना असर है कि निशब्द

वो रौशनी की बात करे और दीया जले।। 

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क्या मुझसे भी अज़ीज़ है तुमको दीए की लौ

फिर तो मेरा मज़ार बने और दीया जले।।

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Tehjeeb-hafi-shayri

सूरज तो मेरी आँख से आगे की चीज़ है

मै चाहता हूँ शाम ढले और दीया जले।।

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तेरे ही कहने पर एक सिपाही ने

अपने घर को आग लगा दी शहज़ादी।।

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किसी दरख़्त की हिद्दत में दिन गुज़ारना है

किसी चराग़ की छाँव में रात करनी है।। 

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वो हमसे नफ़रत भी बड़ी शिद्दत से कर रही है, 

उसकी यही अदा हमें उसका और भी ज्यादा दीवाना कर रही है.

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Tehzeeb Hafi Shayari lyrics

जिंदगी भर तुझे अपनी पलकों पर बिठाउँगा, 

दुनिया हार कर तुझे जीत जाऊंगा, 

माना कि ज़माने में कई खूबसूरत लड़कियां है 

लेकिन सिर्फ तुझे ही में अपनी दुल्हन बनाऊंगा.

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उसकी बाहों में अजीब सी खुशबू महसूस होती है, 

उससे ही सुबह और उसपर ही खत्म हमारी शाम होती थी, 

बिछड़ गयां हूं उससे फ़ीर भी कोई गम नहीं 

ज़मानेवालों क्योंकि उसकी यादें आज भी मेरे साथ होती है.

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आखिर तुझे कहाँ कहाँ से खुदसे जुदा करूं, 

तू तो मेरे दिल की धड़कनों में भी बसी बैठी है.

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माना कि तुम्हे पाने के हज़ारों लोग ख्वाब देखते है, 

लेकिन वो हम जैसे नहीं हम तो धड़कती धड़कनों पर भी आपका नाम लिखते है. 

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तहजीब हाफी शायरी रेख़्ता

बुरे वक्त में भी बड़ी करिश्माई चीज़ मौजूद होती है, 

कौन अपना और कौन पराया 

सबकी असलियत चंद पलों में सामने होती है. 

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हम दुश्मनों को भी अपने गले से लगा रहे है, 

और कुछ अपने उल्टा हमें ही खाक में मिलाने के ख्वाब देख रहे है. 

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जिंदगी का आईना भी क्या खूब नजारा दिखा रहा है, 

दुश्मनों के दिल में प्यार और अपनों के हातो में तलवार दिखा रहा है. 

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तहज़ीब हाफ़ी की नज़्म

मोहब्बत की है तुझसे ता उम्र निभाऊंगा, 

तेरे साथ ही दिल में बसी ख्वाहिशें सजाऊंगा, 

तेरे लिए चाँद तारे तो नहीं तोड़ सकता 

लेकिन तेरे लिए अपनी जान पर खेल जाऊंगा.

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आखिर ये किस तरह का रिश्ता है आपका मेरे साथ, 

बेवफ़ाई कर भी वफाई करते हो हमारे साथ. 

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तहजीब हाफी shayari

तहज़ीब जिंदगी ने भी बड़े अच्छे तरीके से आईना दीखाया है, 

अपनों के हातों में खंजर तो दुश्मनों के दिलमें इज्जत को दिखाया है. 

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तू झांकता नहीं लेकिन मेरे दिल में आज भी मोहब्बत का सैलाब उमडता है, 

और जब कभी तू इन हसीन होटों से मुस्कुराती है दिल बागबां हो जाता है. 

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तुझे अपनी मोहब्बत का किसतरह एहसास दिलाऊं,

कम्बखत तुझे देखकर कोई एहसास ज़ाहिर नहीं होता. 

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तहजीब हाफी गजल

ख्वाबों को आँखों से मिन्हा करती है

नींद हमेशा मुझसे धोखा करती है।

उस लड़की से बस अब इतना रिश्ता है

मिल जाए तो बात वगैरा करती है। 

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लड़कियाँ इश्क़ में कितनी पागल होती हैं 

फ़ोन बजा और चूल्हा जलता छोड़ दिया। 

तुम क्या जानो उस दरिया पे क्या गुजरी 

तुमने तो बस पानी भरना छोड़ दिया।

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