ghalib ke sher shayari on love in hindi
कितने ही धागों में उलझी थी मैं,
तेरे आने से पहले ।
अब तो सिर्फ़ तुम तक ही,
हर डोर दिखाई देती है ।
----------------------------------------------------------------
लफ़्ज़ों और लाहज़ों का ज़रा लिहाज़ रखना,
कई मसखरों को ख़ुद का मज़ाक देखी है मैंने ।
----------------------------------------------------------------
जो आदतों से बयां ना हो वो इश्क़ कैसा,
लफ़्ज़ों से तो एहसान भी जताएं जाते हैं ।
----------------------------------------------------------------
लफ़्ज़ों को पढ़ सिर्फ मैं मायल होती हूँ,
जो मेरी रूह को छू ले उसी की कायल होती हूँ ।
----------------------------------------------------------------
अब छोड़ भी दो पैरवी ख़ुद के रवैये की,
अहमियत ना अब तुम रखते हो ना तुम्हारा नज़रिया ।
----------------------------------------------------------------
शक करने की वजह से लोग,
एक दूसरे से अपने मन की बात
शेयर नहीं कर पाते हैं ।
जिसकी वजह सी एक लकीर बन जाती है,
जो उन्हें पहले जैसा प्यार करने से रोकती है ।
----------------------------------------------------------------
उसने कहा तुम बोलती बहुत हो,
तो मैंने भी मुस्कुरा के कह दिया,
जो तू कर ले वादा,
मेरी ख़ामोशी को पढ़ने का,
खिलौने की तरह,
बे-आवाज़ होने को तैयार हूँ मैं ।
----------------------------------------------------------------
एक हक़ीक़त ये भी है दोस्तों,
जो मोहब्बत पर खूब लिखते हैं,
वो मोहब्बत करना बहुत पहले छोड़ चुके होते हैं ।
----------------------------------------------------------------
किसे खोज़ रहे हो तुम इस गुमनाम सी दुनियां में,
हम लफ़्ज़ों में जीने वाले अब ख़ामोशी में रहते हैं ।
----------------------------------------------------------------
एक सवाल सबसे जवाब देंगे क्या ?
एक रचना/कलाम खूबसूरत कैसे होती है ?
🤷♀🤔
----------------------------------------------------------------
किसी को सवाल किसी को जवाब पसन्द नहीं आता,
किसी किसी को 'अक़िला' का कोलैब पसन्द नहीं आता ।
----------------------------------------------------------------
वो नए जमाने का लड़का है,
मुझसे इश्क़ बेशक बेहिसाब करता है ।
----------------------------------------------------------------
तोहफ़ा-ए-इश्क़ में वो गुलाब नहीं,
मुझे अक्सर हिज़ाब दिया करता है ।
----------------------------------------------------------------
याद आएगी हर रोज मगर तुझे,
आवाज़ ना दूंगी ।
मैं लिखूंगी तेरे लिए ही हर ग़ज़ल,
मगर तेरा नाम ना लुंगी ।
----------------------------------------------------------------
उम्र बिना रुके सफर कर रही है,
और हम ख्वाहिशें लेकर वही खड़े हैं ।
----------------------------------------------------------------
मैंने थोड़ी सी रोशनी मांगी थी ज़िंदगी में,
चाहने वाले ने तो आग ही लगा दी ।
----------------------------------------------------------------
खो गईं हूँ इस भीड़ में,
ख़ुद को भुलाती जाती हूँ ।
----------------------------------------------------------------
पहले बात बात पर बहस करती थी,
अब तो बस ख़ामोश होते जाती हूँ ।
----------------------------------------------------------------
ग़र हो गया हो यकीन तो तवज़्ज़ो दे देना,
ये वो एहसासात हैं जो पढ़ने वालों को अपना मालूम होता है ।
----------------------------------------------------------------
अपने लफ़्ज़ों से हर दिल अज़ीज बन बैठे हैं,
वो एक दोस्त जो उस्ताद रूपी ताबीज़ बन बैठे हैं ।
----------------------------------------------------------------
समझती हूं ख़ुद को कभी ख़ुद से नाराज़ हो जाती हूँ,
कुछ इस तरह मैं अपनी ज़िंदगी की हर रात बिताती हूँ ।
----------------------------------------------------------------
अहम के ख़्यालात से बहुत दूर है,
'अक़िला' ख़ुद ही ख़ुद के लिए मशहूर है ।
----------------------------------------------------------------
बाजारों में मिलती है खुशबू ना जाने कितनी तरह की,
असली महक के तलबगार गीली मिट्टी की तलब रखते हैं ।
----------------------------------------------------------------
चप्पल में चुभने लगे हैं सड़क के कंकड़,
कोई मुझमें पैरों का दर्द सहने की हिम्मत जुटा दे ।
plz do not enter any spam link in the comment box
plz do not enter any spam link in the comment box