dil love shayari | दिल लव शायरी

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dil love shayari | दिल लव शायरी

dil love shayari | दिल लव शायरी

काश मेरी फिर वही पुरानी, रात आ जाए

वो मोहब्बत वाली लबों पे, बात आ जाए


अब तो हम,खुदको भी नहीं पहचान पाते

तुम कोशिश करो, तो कुछ याद आ जाए


अक्सर, घुटनों पर गिर जाती है मोहब्बत

जो इश्क़ के बीच में अगर,जात आ जाए


मोहब्बत साथ में थी, तो सर झुका लिया

अकेले में हो जिसकी औकात, आ जाए


यारो उस वक्त उठाना, तुम मेरा ज़नाज़ा

जब उसके दरवाज़े पर, बारात आ जाए


उसकी अदालत में,कोई तो मेरे जैसा हो

हो कर कोई बे गुनाह,गिरफ़्तार आ जाए


एसी क़ातिल है, उसके आंखों की चमक

वो जो पत्थर को देखे, तो दरार आ जाए


बुलाया है हमे,खत्म रिश्ता करने ले लिए

हम दुआ कर रहे है, हमे बुखार आ जाए


अपना सर भी, शोक से झुका लेंगे भैरव

सामने उसका घर,या कोई मज़ार आ जाए

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हँसते हँसते रोना है इतना पागल होना है

उसके मन को पढ़ जाउ इतना जाहिल होना है

अपना एक सफीना है अपना साहिल होना है

खुद से ही आशिक़ी है खुद का ही कातिल होना है

ढूंढे ढूंढ सके न कोई ऐसा हासिल होना है

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खिड़की से झांकता हूँ मै सबसे नज़र बचा कर,

बेचैन हो रहा हूँ क्यों घर की छत पे आ कर, 

क्या ढूँढता हूँ जाने क्या चीज खो गई है, 

इन्सान हूँ शायद मोहब्बत हमको भी हो गई है

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घुटनों से रेंगते-रेंगते,

कब पैरों पर खड़ा हुआ,

तेरी ममता की छाँव में,

जाने कब बड़ा हुआ,

काला-टीका दूध मलाई,

आज भी सब कुछ वैसा है,

मैं ही मैं हूँ हर जगह,

माँ प्यार ये तेरा कैसा है?

सीधा-साधा, भोला भाला,

मैं ही सबसे अच्छा हूँ,

कितनी भी हो जाऊ बड़ा,

“माँ!” मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ.

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