bewafa poetry in urdu | Heart Touching Bewafa Poetry

bewafa poetry in urdu | Heart Touching Bewafa Poetry 

bewafa poetry in urdu | Heart Touching Bewafa Poetry

मैं कैसे अच्छी लग सकती हुं तुम्हें
तुम नए खयालातों वाले लड़के हो

मैं कैद अपनी छोटी सी दुनियां में हुं
तुम दुनिया की सैर करने वाले लड़के हो

मैं अपनों में खुद को ढूंढने वाली लड़की हुं
तुम दुनियां की मोहब्बत में खोए हुए लड़के हो

मुझे पसंद नहीं गैरों में खुद को शुमार करना
और तुम हर शख़्स से हाथ मिलाने वाले लड़के हो

मैं कैसे अच्छी लग सकती हुं तुम्हें यार
तुम मेरे खयालातों से बिल्कुल मुख्तलिफ लड़के हो।

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Bewafa shayari urdu in Hindi

bewafa poetry in urdu | Heart Touching Bewafa Poetry

तु मुझे कभी नहीं मिलेगा मुझे खबर है मगर तेरे ख्यालों में रहना अच्छा लगता हैं

तुझे देखते रहने में मेरी चाय ठंडी हो जाती हैं अक्सर मगर तुझे देखते रहना अच्छा लगता हैं

तु इस बात से रहा हमेशा से बेखबर मगर लोग मुझे जब तेरा कहते हैं तो अच्छा लगता हैं

तेरे दिल की हकीकत से नहीं वाकिफ मैं मगर मेरे दिल को तेरे नाम पर धड़कना अच्छा लगता हैं।

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Bewafa Quotes In Urdu

bewafa poetry in urdu | Heart Touching Bewafa Poetry

ये मेरी ख्वाहिश नहीं की तुम मुझसे बेवजह गुफ़्तगू करो

अगर ना हो भरोसा तो तुम मुझे खुद से जुदा करो

जाओ ढूंढ़ लो वो कोई वफ़ा का सितारा जो तुम्हारे काबिल हो

यूँ शबों - रोज़ मेरी पाक़ीज़ा चाहत का ऐसे कत्ल ना करो

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Bewafai ki shayari in Urdu

bewafa poetry in urdu | Heart Touching Bewafa Poetry

सुनो.......!!
तुम्हें में अपने लफ्जों में क्या लिखुं ?
दोस्त लिखुं , हमदम लिखुं
हमदर्द लिखुं , या फिर मोहब्बत लिखुं ?
सच कहूं तो मैं चाहती हुं की
दुनियां के तमाम खूबसूरत
लफ्ज़ों को मिला कर प्यारी सी गज़ल लिखुं
और उसमे तुम्हें अपनी कायनात लिखुं।

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Bewafa Shayari in Urdu for boyfriend

bewafa poetry in urdu | Heart Touching Bewafa Poetry

अब भी वही खड़ा हुँ मैं..

संभाल मुझ को बड़ी मुश्किल से खड़ा हुँ मैं न कर नज़र अंदाज़ मुझे तेरी ही सदा हुँ मैं

बुझा न दे बेदर्दी से मुझे सुबह होते ही तेरी ही खातिर तो रात भर जला हुँ मैं

या रब तेरे सिवा नज़र आता नहीं सहारा चारो तरफ से यू तुफानो में घिरा हुँ मैं

शामिल हुँ अपनों की महफ़िल में भी अजनबी की तरह यू हर एक से जुड़ कर भी सब से कटा हुँ मैं

पूछ कर मेरा पता वक्त बरबाद न करो तुझे नहीं पता खुद ही लापता हुँ मैं

कॉलेज की वो सड़क भी अब सुनी हो गई आ जाओ मिलने अब भी वही खड़ा हुँ मैं

आंधिया लाख रोकती रही मुसाफिर को मगर वहा से भी दिप मोहब्बत के जला कर चला हुँ मैं।

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Bewafa shayari in urdu English

अब मत पूछना की कहां रहते हैं हम तेरे दिल से निकल कर अपनी हद में रहते हैं हम

हाल ए दिल ना पुछ किसे सुनाते हैं हम तेरे बाद खुद ही खुद को सुन लेते हम

अब ये किस बात की हैं नाराजगी यार अब तो तुझे सताते भी नहीं हैं हम

और ये जो हम बोलते नहीं हैं कुछ ये सबर हैं हमारा तु ये ना समझ कि बेजुबान हैं हम।

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Ghalib Bewafa Shayari in Urdu

वो एक शख्स बोहोत याद आया जिसके कंधे पर गम दम तोड़ देते थे मुझे आज वो कंधा बोहोत याद आया

वो एक शख्स जिसकी सिर्फ मौजूदगी से ही सुकून मिलता था मुझे आज वो सुकून बोहोत याद आया

मेरी जात की हकीकत से कोइ वाकिफ नहीं यहां मुझे मेरी आवाज से पहचान लेने वाला वो शख़्स बोहोत याद आया

मुड़ना मुुश्किल रहा किसी राह से जिंदगी ने थका दिया जब मुझे हौंसला देने वाला वो शख़्स बोहोत याद आया।

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Bewafa Poetry Ghazal

अब आदतन ही कह देती हुं की ठीक हुं में अब खुल कर अपना हाल बताना छोड़ दिया है

अब रह लेती हुं अपने साथ ही सुकुन से में अब ये महफिलों से दिल लगाना छोड़ दिया है

परिंदों और हवाओं को बताती हुं राज में मेने अब हमराज़ को राज बटाना छोड़ दिया है

और तुम संभाल कर रखना एक पुरानी तस्वीर मेरी की मेने अब ये सजना संवरना भी छोड़ दिया है।

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Bewafa Poetry in Hindi

तेरी यादों की कैद से रिहाइ चाहती हुं में
फिर ज़िंदगी में खुशहाली चाहती हुं

दिल से तेरे नाम को मिटाना चाहती हुं में
कुछ गलतियां सुधारना चाहती हुं

मिजाज मे अपने नरमी चाहती हुं मैं लहज़े
की सख्ती को मिटाना चाहती हुं

खुल कर फिर से मुस्कुराना चाहती हुं मैं
उदासियों से पीछा छुड़ाना चाहती हुं

माजी के अंधेरे से निकलना चाहती हुं मैं
ज़िंदगी मैं कुछ रंग भरना चाहती हुं ।

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Bewafa Shayari in Urdu for girlfriend

बस इक झिझक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आयेगा इस फ़साने में

बरस पड़ी थी जो रुख़ से नक़ाब उठाने में
वो चाँदनी है अभी तक मेरे ग़रीब-ख़ाने में

इसी में इश्क़ की क़िस्मत बदल भी सकती थी
जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में

ये कह के टूट पड़ा शाख़-ए-गुल से आख़िरी फूल
अब और देर है कितनी बहार आने में

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Heart Touching Bewafa Poetry

तेरी किताब के हर्फ़े, समझ नहीं आते ;
ऐ जिंदगी तेरे फ़लसफ़े, समझ नहीं आते !

कितने पन्ने हैं, किसको संभाल कर रखूं ;
कौन से फाड़ दूँ सफ़हे, समझ नहीं आते !

चौंकाया है जिंदगी , यूं हर मोड़ पर तुमने ;
बाकी कितने है शगूफे , समझ नहीं आते !

हम तो ग़म में भी ,ठहाके लगाया करते थे ,
अब आलम ये है कि, लतीफे समझ नहीं आते !

तेरा शुकराना, जो हर नेमत से नवाज़ा  मुझको ;
पर जाने क्यों अब तेरे , तोहफे समझ नहीं आते !!

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धोखा शायरी रेख़्ता

तख़्त~ए~शाही की क़यादत नहीं होती तुमसे....
भाईचारे की सियासत नहीं होती तुमसे....
ये वो सच है कि जिसे सुन ही नहीं सकते तुम....
बेटियों तक की हिफ़ाज़त नहीं होती तुमसे....!!!

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मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ

Meri khwaahish hai ki main phir se farishta ho jaaun
Maa se is tarah lipat jaaun ki baccha ho jaaun

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Sad Shayari Bewafa girl

अभी मैं क्या चाहता हूं
ये नहीं बता सकता पर
मुझे बस इतना महसूस हो रहा है
मेरी बातें, तुम्हारे बदन पर झर जाएं
तुम्हें ढक लें, तुम सिर्फ़ मेरे शब्द ओढ़ो
मुझसे लिपट जाओ, मैं तुम्हें चुमूं
शरीर खोकर, सिर्फ़ होंठ हो जाऊं
और तुम, खेत की तरह अंगड़ाइयां लो
जैसे हवा के चूमने से लहराती है फसल

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जंग पर निकलता हूँ ढाल भूल जाता हूँ,
मैं अजब शिकारी हूँ जाल भूल जाता हूँ !

वस्ल में भी रहती है भूलने की बीमारी,
होंठ चूम आता हूँ गाल भूल जाता हूँ !!

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Shayari bewafa Urdu

सत्य को कहने के लिए किसी,
शपथ की जरूरत नहीं होती।

नदियों को बहने के लिए किसी,
पथ की जरूरत नहीं होती l

जो बढ़ते हैं जमाने में,
अपने मजबूत इरादों के बल,

उन्हें अपनी मंजिल पाने के लिए,
किसी रथ की जरूरत नहीं होती।

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हाँ कुछ इसलिए मैं अपनी सफाई नही देता,
कुछ तो अंधे हैं यहाँ कुछ को सुनाई नही देता !

जब यहाँ खुद पे गुज़रती है पता चलता है,
औरों का हमे  कुछ भी दिखाई नही देता !

आज उस शख़्स ने ग़ैरों से मदद ली कैसे,
वो जो भूले से भी अपनों को दुहाई नही देता !

तुम इसे इश्क़ या दीवानगी चाहे जो कह लो,
मुझे अब तेरे सिवा कुछ भी दिखाई नही देता !

ज़रा देखो तो ख़ुशी बांटने आया है मेरी कौन,
वो जो मुश्किल में कभी मेरे दिखाई नही देता !

मर जायेगा वो, छोड़ चला जाऊँ जो उसको,
मैं इसी डर से कभी उसको जुदाई नही देता !

अब हमको जवानी कहाँ याद आती है
इस बुढ़ापे में तो अब कुछ भी सुझाई नही देता !!

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Bewafa sms in Hindi for Girlfriend

अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला

इक मुसाफिर के जैसी है सब की दुनिया
कोई जल्दी में, कोई देर से जाने वाला

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Best Bewafa Shayari

एक मुद्दत हुई घर से निकले हुए 
अपने माहौल में खुद को देखे हुए 

एक दिन हम अचानक बड़े हो गए 
खेल में दौड़कर उसको छूते हुए 

सब गुजरते रहे सफ़ ब सफ़ पास से 
मेरे सीने पे इक फूल रखते हुए 

जैसे ये मेज़, मिट्टी का हाथी ये फूल 
एक कोने में हम भी हैं रक्खे हुए

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Best bewafa shayari in Urdu

वफ़ा के शीश महल में सजा लिया मैनें
वो एक दिल जिसे पत्थर बना लिया मैनें

ये सोच कर कि न हो ताक में ख़ुशी कोई
ग़मों कि ओट में ख़ुद को छुपा लिया मैनें

कभी न ख़त्म किया मैं ने रोशनी का मुहाज़
अगर चिराग़ बुझा, दिल जला लिया मैनें

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Bewafa shayari Rekhta in hindi

दिल के सुनसान जज़ीरों की ख़बर लाएगा
दर्द पहलू से जुदा हो के कहाँ जाएगा

कौन होता है किसी का शब-ए-तन्हाई में
ग़म-ए-फ़ुर्क़त ही ग़म-ए-इश्क़ को बहलाएगा

चाँद के पहलू में दम साध के रोती है किरन
आज तारों का फ़ुसूँ ख़ाक नज़र आएगा

राग में आग दबी है ग़म-ए-महरूमी की
राख होकर भी ये शोला हमें सुलगाएगा

वक़्त ख़ामोश है रूठे हुए यारों की तरह
कौन लौ देते हुए ज़ख़्मों को सहलाएगा

ज़िंदगी चल कि ज़रा मौत के दम-ख़म देखें
वर्ना ये जज़्बा लहद तक हमें ले जाएगा

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कभी दामन कभी पल्कें भिगोना किसको कहते हैं
किसी मजलूम से पूछो कि रोना किसको कहते हैं

कभी मेरी जगह खुद को रखो फिर जान जाओगे
कि दुनिया भर के दुख दिल में समोना किसको कहते हैं..

मेरी आंखें मेरे चेहरे को इक दिन गौर से देखो
मगर मत पूछना वीरान होना किसको कहते हैं

तुम्हारा दिल कभी पिघले अगर गम की हरारत से
तुम्हें मालूम हो जायेगा खोना किसको कहते हैं....

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Bewafa ghazal in Urdu

चलें बोहोत हम भी हमें मंजिल का मगर कोई पता ना मीला

दिखा हमें भी समन्दर हमें कतरा मगर वहां से पानी ना मिला

भेजा हमने भी एक खत खुशियों को मगर कासिद को पता ना मीला

गिरे तो खुद ही संभल कर उठ गए हमें किसी से कभी सहारा ना मिला

रोए कभी तो खुद ही पोछे आंसू अपने हमें राह ए हयात में मुखलिस यार ना मिला

मिले बोहोत लोग मगर मतलब से मिले हमें हमारे मतलब का कोई यहां ना मिला।

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बेवफा शायरी रेख़्ता

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ

आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख

तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ

पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो

रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम

तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ

इक उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी महरूम

ऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ

अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को तुझ से हैं उम्मीदें

ये आख़िरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ।

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पिंदार-ए-मोहब्बत=pride of love
मरासिम=relation
लज़्ज़त-ए-गिर्या =joy of crying
राहत-ए-जाँ= joy of life
दिल-ए-ख़ुश-फ़हम=misconceived heart

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बेवफा शायरी कॉपी

चुपके से कोई कहता है शाएर नहीं हूँ मैं
क्यूँ अस्ल में हूँ जो वो ब-ज़ाहिर नहीं हूँ मैं

भटका हुआ सा फिरता है दिल किस ख़याल में
क्या जादा-ए-वफ़ा का मुसाफ़िर नहीं हूँ मैं

क्या वसवसा है पा के भी तुम को यक़ीं नहीं
मैं हूँ जहाँ कहीं भी तो आख़िर नहीं हूँ मैं

सौ बार उम्र पाऊँ तो सौ बार जान दूँ
सदक़े हूँ अपनी मौत पे काफ़िर नहीं हूँ मैं।

शाम को जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर जाता हूँ मैं
मुस्कुरा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं

जानता हूँ रेत पर वो चिलचिलाती धूप है
जाने किस उम्मीद में फिर भी उधर जाता हूँ मैं

सारी दुनिया से अकेले जूझ लेता हूँ कभी
और कभी अपने ही साये से भी डर जाता हूँ मैं

ज़िन्दगी जब मुझसे मज़बूती की रखती है उमीद
फ़ैसले की उस घड़ी में क्यूँ बिखर जाता हूँ मैं

आपके रस्ते हैं आसाँ आपकी मंजिल क़रीब
ये डगर कुछ और ही है जिस डगर जाता हूँ मैं

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वफा पर गजल

मैं हमेशा तुझे देख कर खुद को अधूरा और कम महसूस करती हुं

जैसे तु चांद सा रोशन में टूटा सितारा तु हवाओं सा बेबाक मैं कैद परिंदा

तु नदियों सा बहता मैं बारिश का कतरा तु नया सवेरा मैं गहरा अंधेरा

तु गजल सुहानी मैं शायरी अधूरी तु खुशियों का आगाज मैं गम का बसेरा। 

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आप की याद आती रही रात भर'
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर
गाह जलती हुई गाह बुझती हुई
शम-ए-ग़म झिलमिलाती रही रात भर
कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन
कोई तस्वीर गाती रही रात भर
फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले
कोई क़िस्सा सुनाती रही रात भर
जो न आया उसे कोई ज़ंजीर-ए-दर
हर सदा पर बुलाती रही रात भर
एक उम्मीद से दिल बहलता रहा
इक तमन्ना सताती रही रात भर।

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Bewafa Dost Poetry

वो ढल रहा है तो ये भी रंगत बदल रही है 
जमीन सूरज की उंगलियों से फिसल रही है

जो मुझको जिंदा जला रहें हैं वो बेखबर हैं 
कि मेरी जंजीर धीरे-धीरे पिघल रही है 

मैं क़त्ल तो हो गया तुम्हारी गली में लेकिन 
मिरे लहू से तुम्हारी दीवार गल रही है 

न जलने पाते थे जिस के चूल्हे भी हर सवेरे 
सुना है कल रात से वो बस्ती भी जल रही है 

मैं जानता हूं कि ख़ामुशी में ही मस्लहत है 
मगर यही मस्लहत मिरे दिल को खल रही है 

कभी तो इंसान ज़िंदगी की करेगा इज़्ज़त 
ये एक उम्मीद आज भी दिल में पल रही है।

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ये दुनिया तुम को रास आए तो कहना 
न सर पत्थर से टकराए तो कहना 

ये गुल काग़ज़ हैं ये ज़ेवर हैं पीतल 
समझ में जब ये आ जाए तो कहना 

बहुत ख़ुश हो कि उस ने कुछ कहा है 
न कह कर वो मुकर जाए तो कहना 

बदल जाओगे तुम ग़म सुन के मेरे 
कभी दिल ग़म से घबराए तो कहना 

धुआँ जो कुछ घरों से उठ रहा है 
न पूरे शहर पर छाए तो कहना।

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Bewafa poetry in english

मैं तुझे फिर मिलूँगी
कहाँ कैसे पता नहीं
शायद तेरे कल्पनाओं
की प्रेरणा बन
तेरे केनवास पर उतरुँगी
या तेरे केनवास पर
एक रहस्यमयी लकीर बन
ख़ामोश तुझे देखती रहूँगी
मैं तुझे फिर मिलूँगी
कहाँ कैसे पता नहीं

या सूरज की लौ बन कर
तेरे रंगो में घुलती रहूँगी
या रंगो की बाँहों में बैठ कर
तेरे केनवास पर बिछ जाऊँगी
पता नहीं कहाँ किस तरह
पर तुझे ज़रुर मिलूँगी

या फिर एक चश्मा बनी
जैसे झरने से पानी उड़ता है
मैं पानी की बूंदें
तेरे बदन पर मलूँगी
और एक शीतल अहसास बन कर
तेरे सीने से लगूँगी

मैं और तो कुछ नहीं जानती
पर इतना जानती हूँ
कि वक्त जो भी करेगा
यह जनम मेरे साथ चलेगा
यह जिस्म ख़त्म होता है
तो सब कुछ ख़त्म हो जाता है

पर यादों के धागे
कायनात के लम्हें की तरह होते हैं
मैं उन लम्हों को चुनूँगी
उन धागों को समेट लूंगी
मैं तुझे फिर मिलूँगी
कहाँ कैसे पता नहीं

मैं तुझे फिर मिलूँगी

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मुर्दा तबियतों की मुर्जाहट मिटा दे
उठते हुए शरारे इस राख से दिखा दे
हुब्बे वतन समाए आंखों में नूर हो कर
सर में खुमार हो कर दिल में सुरूर हो कर
बुलबुल को गुल मुबारक गुल को चमन मुबारक
हम बेकसों को अपना प्यारा वतन मुबारक।

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