deep love poems for him in hindi
रोने से बेहतर है, थोड़ा मुस्कुरा कर देख लो
होना है बर्बाद, थोड़ा दिल लगाकर देख लो ।
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दिल है आज मेरा फिर से उदास किस लिए?
यूं टुकड़ों में टूट रही है मेरी आस किस लिए?
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कुछ राज अपने हम दफन कर भी जाएं तो क्या होगा?
कुछ इसी तरह अगर हम मर भी जाए तो क्या होगा??
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उनकी आंखों ने ढ़ेर कर दिया था एक वार से,
एक भोली हिरनी ने शेर का शिकार किया था।
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कभी-कभी मेरे ख्याल मेरे हाथ में नहीं रहते,
तुमको मांगते हैं अपनी औकात में नहीं रहते!
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चलो इस बार के तो सब गुनाह माफ है,
फिर अगर बेवफा होना तो सरेआम होना।
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अगर सजाएं छत्तीस पूरी मिलती है इश्क में..
तो अठारह इधर, अठारह उधर होनी चाहिए ।
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तुम थी तो बोलती नहीं थकती थी कभी,
अब वक्त बिना बातों के गुजर जाता है।
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उसे ही न जाने क्यों फुरसत नहीं मिलती,
मैं तो रात में भी दरवाजा खुला रखता हूं।
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मुझे कुछ देर पैरों पर खड़ा रहने दो,
गले लगाया तो सच में टूट जाऊंगा।
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एक किस्सा है मगर मुझे वो सुनाना नहीं है,
दरअसल मेरी सुने, ऐसा तो जमाना नहीं है
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दिल के दरवाजे पर दस्तक रात भर होती रही,
मेरी आंखें जागती रही और रात भर रोती रही।
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वो भी एक दौर था आंखों आंखों में बात होती थी,
दीदार कहां नसीब था, एक तस्वीर साथ होती थी।
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दिलो-दिमाग की रस्साकशी चलती ही रही,
उसे खोने का गम आखिर खा गया मुझको!
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चेहरे की इस किताब को जरा सम्भल के पढ़ना,
मुश्किल है इंसान के हर एक रंग को समझना ।
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जो ताल्लुक निभाए नहीं और तेरा हाथ छोड़ दे,
वो यार ही क्या जो मुश्किल में तेरा साथ छोड़ दे।
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हंसी होठों की खुशी दिल की,
सब तो ले गए तुम,
अपनी यादों को हमारे पास रहने दो।
जिंदगी में फिर मिले न मिले,
एक बार गले लग जाओ,
फिर चाहे जिंदगी भर उदास रहने दो।
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आईना मेरा, नजर मेरी
....अक्श तेरा क्यों दिखे?
जो मैं खुद को निहारूं
..... नक्श तेरा क्यों देखें?
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अपनी तन्हाइयों पे ओढ़कर यादों का कफन,
नाकाम मोहब्बत की छत पर सो रहे हैं हम।
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अकेली रात है...मैं भी तन्हा हूं,
लेकिन खुश हूं वहीं, मैं जहां हूं!
होना है बर्बाद, थोड़ा दिल लगाकर देख लो ।
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दिल है आज मेरा फिर से उदास किस लिए?
यूं टुकड़ों में टूट रही है मेरी आस किस लिए?
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कुछ राज अपने हम दफन कर भी जाएं तो क्या होगा?
कुछ इसी तरह अगर हम मर भी जाए तो क्या होगा??
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उनकी आंखों ने ढ़ेर कर दिया था एक वार से,
एक भोली हिरनी ने शेर का शिकार किया था।
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कभी-कभी मेरे ख्याल मेरे हाथ में नहीं रहते,
तुमको मांगते हैं अपनी औकात में नहीं रहते!
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चलो इस बार के तो सब गुनाह माफ है,
फिर अगर बेवफा होना तो सरेआम होना।
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अगर सजाएं छत्तीस पूरी मिलती है इश्क में..
तो अठारह इधर, अठारह उधर होनी चाहिए ।
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तुम थी तो बोलती नहीं थकती थी कभी,
अब वक्त बिना बातों के गुजर जाता है।
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उसे ही न जाने क्यों फुरसत नहीं मिलती,
मैं तो रात में भी दरवाजा खुला रखता हूं।
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मुझे कुछ देर पैरों पर खड़ा रहने दो,
गले लगाया तो सच में टूट जाऊंगा।
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एक किस्सा है मगर मुझे वो सुनाना नहीं है,
दरअसल मेरी सुने, ऐसा तो जमाना नहीं है
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दिल के दरवाजे पर दस्तक रात भर होती रही,
मेरी आंखें जागती रही और रात भर रोती रही।
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वो भी एक दौर था आंखों आंखों में बात होती थी,
दीदार कहां नसीब था, एक तस्वीर साथ होती थी।
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दिलो-दिमाग की रस्साकशी चलती ही रही,
उसे खोने का गम आखिर खा गया मुझको!
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चेहरे की इस किताब को जरा सम्भल के पढ़ना,
मुश्किल है इंसान के हर एक रंग को समझना ।
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जो ताल्लुक निभाए नहीं और तेरा हाथ छोड़ दे,
वो यार ही क्या जो मुश्किल में तेरा साथ छोड़ दे।
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हंसी होठों की खुशी दिल की,
सब तो ले गए तुम,
अपनी यादों को हमारे पास रहने दो।
जिंदगी में फिर मिले न मिले,
एक बार गले लग जाओ,
फिर चाहे जिंदगी भर उदास रहने दो।
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आईना मेरा, नजर मेरी
....अक्श तेरा क्यों दिखे?
जो मैं खुद को निहारूं
..... नक्श तेरा क्यों देखें?
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अपनी तन्हाइयों पे ओढ़कर यादों का कफन,
नाकाम मोहब्बत की छत पर सो रहे हैं हम।
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अकेली रात है...मैं भी तन्हा हूं,
लेकिन खुश हूं वहीं, मैं जहां हूं!
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नजदीकियां भी दूरियां बन जाती है,
एक जब अपने ख्यालात नहीं होते।
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हमदर्द की चाहत है पर हमदर्दी की तलाश नहीं,
हमसे किसी को अपना दर्द बताना नहीं जाता ।
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कभी -कभी मैं तारों से बतियाता हूं..
चांद प्यार से समझाता है अक्सर मुझे।
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तुम्हें देख के खुद की नजरों में पराया हो गया हूं,
जिस्म छोड़ के अपना, मैं तेरा साया हो गया हूं।
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कल कोई था, आज मैं हूं, कल कोई और आयेगा,
कायम रहेगी दुनिया ये, कोई आयेगा कोई जायेगा
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पलकें अश्कों से कांप रही, बोझिल सांसें हांफ रही
सीने में रहकर निकलने के लिए तड़प रहा है दिल।
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चढ़ती नहीं शराब अब, जहर भी है बेअसर,
कुछ भी असर नहीं, जबसे तेरे असर में हूं।
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मत पूछ दिन किस तरह गुजारा हमने,
रात में कर लिया सबसे किनारा हमने।
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सवाल जिंदगी का, हल होगा इस तरह,
खुदकुशी करेगी, या खुद मार देगी मुझे।
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