rahat indori shayari | राहत इंदौरी शायरी
थोड़ा और समझदार होने के लिए
थोड़ा और अकेला होना पड़ेगा ..!
-राहत इंदौरी
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
-राहत इंदौरी
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
-राहत इंदौरी
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।
-राहत इंदौरी
आते जाते हैं कई रंग मेरे चेहरे पर,
लोग लेते हैं मजा ज़िक्र तुम्हारा कर के।
-राहत इंदौरी
प्यास तो अपनी सात समन्दर जैसी थी,
ना हक हमने बारिश का अहसान लिया।
-राहत इंदौरी
मैं वो दरिया हूँ की हर बूंद भँवर है जिसकी,
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।
-राहत इंदौरी
नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है
-राहत इंदौरी
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है
-राहत इंदौरी
वो चाहता था कि कासा¹ ख़रीद ले मेरा
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया
-राहत इंदौरी
मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे
मिरे भाई मिरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले
-राहत इंदौरी
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए
-राहत इंदौरी
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
-राहत इंदौरी
ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर
जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे
- राहत इंदौरी
कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है
-राहत इंदौरी
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी
- राहत इंदौरी
ज़िंदगी है इक सफ़र और ज़िंदगी की राह में
ज़िंदगी भी आए तो ठोकर लगानी चाहिए
- राहत इंदौरी
घर से ये सोच के निकला हूँ कि मर जाना है
अब कोई राह दिखा दे कि किधर जाना है
- राहत इंदौरी
सिर्फ़ ख़ंजर ही नहीं आँखों में पानी चाहिए
ऐ ख़ुदा दुश्मन भी मुझ को ख़ानदानी चाहिए
राहत इंदौरी
मैं मर जाऊँ तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना
लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना
-राहत इंदौरी
अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए
-राहत इंदौरी
अजनबी ख़्वाहिशें , सीने में दबा भी न सकूँ
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे , कि उड़ा भी न सकूँ
-राहत इंदौरी
शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
-राहत इंदौरी
सूरज सितारे चाँद मिरे सात में रहे
जब तक तुम्हारे हात मिरे हात में रहे
-राहत इंदौरी
हम थे ठहरे हुए पानी पे किसी चांद का अक्स!!
जिस को अच्छे भी लगे उसने भी पत्थर फेंका!!
-राहत इंदौरी
तुम अपनी अच्छाई में मशहूर रहो,
हम बुरे है हमसे दूर रहो....!
- राहत इंदौरी
ये अलग बात है कि ख़ामोश खड़े रहते हैं
फिर भी जो लोग बड़े हैं, वो बड़े रहते हैं
- राहत इंदौरी
इश्क़ अधूरा रहा तो क्या हुआ ,
हम बर्बाद तो पूरे हुए।
-राहत इंदौरी
मां सबसे ज़्यादा अकेलेपन में याद आयी,
और पिता ख़ाली जेबों में....!
-राहत इंदौरी
खूबसूरत ख्यालों में वो हक जता देता है,
वो मेरा होता नही पर अपना बता देता है।
-राहत इंदौरी
मैं किसी का उतना हूं,
जितना कोई मेरा नहीं
-राहत इंदौरी
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं।।
-राहत इंदौरी
मुझे परवाह नहीं अपने कल की,
मैं हर दिन आखिरी समझ के जीता हूं !
-राहत इंदौरी
अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए,
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए।।
-राहत इंदौरी
ये अलग बात है कि ख़ामोश खड़े रहते हैं
फिर भी जो लोग बड़े हैं, वो बड़े रहते हैं
- राहत इंदौर
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