allama iqbal shayari hindi | अल्लामा इक़बाल शायरी हिंदी
भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
बड़ा बे-अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ
Bhari Bazm Me Raaz Ki Baat Keh Di
Bada Be-Adab Hu Saza Chahta Hu
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ढूँडता फिरता हूँ मैं ‘इक़बाल’ अपने आप को
आप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूँ मैं
Dhoondhta Firta Hu Mai “Iqbal” Apne Aap Ko
Aap Hi Goya Musafir Aap Hi Manzil Hu Mai
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अल्लामा इकबाल की शायरी इन उर्दू?
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्ताँ वालो
तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी दास्तानों मे
N Samjhoge Toh Mit Jaoge Ae Hindostaa Waalon
Tumhari Daastaan Tab Bhi N Hogi Daastano Me
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हरम-ए-पाक भी अल्लाह भी क़ुरआन भी एक
कुछ बड़ी बात थी होते जो मुसलमान भी एक
Haram-e-Paak Bhi Ullah Bhi Kuraan Bhi Ek
Kuch Badi Baat Thi Hote Jo Musalmaan Bhi Ek
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अल्लामा इक़बाल रेख़्ता
फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है
Fakat Nigaah Se Hota Hai Faisla Dil Ka
N Ho Nigaah Me Sokhi Toh Dilbari Kya Hai
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जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में
वो निकले मेरे ज़ुल्मत-ख़ाना-ए-दिल के मकीनों में
Jinhe Mai Dhoondhta Tha Aasmaano Me Zamino Me
Wo Nikle Mere Zulmat-Khana-e-Dil Ke Makino Me
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अमल से ज़िंदगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भी
ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है
Amal Se Zindagi Banti Hai, Jannat Bhi, Jahannam Bhi
Ye Khaaki Apni Apni Fitrat Me N Noori Hai N Naari Hai
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मोहम्मद शायरी हिंदी
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा
Majhab Nahi Sikhata Aapas Me Bair Rakhna
Hindi Hai Hum Watan Hai Hindostaan Hamara
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ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ
Ye Jannat Mubarak Rahe Zahidon Ko
Ki Mai Aap Ka Samna Chahta Hu
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बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम
सौ बार कर चुका है तू इम्तिहाँ हमारा
Baatil Se Dabne Waale Ae Aasmaa Nahi Hum
Sau Baar Kar Chuka Hai Tu Imtihaa Hamara
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इकबाल के तराने
बदसूरती की पहचान सूरत से होती है,
और बदसुलूकी की पहचान बच्चों के खानदान से होती है।
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उसकी निगाहों ने भी अजीब जादू कर डाला है,
अपनी खूबसूरती के दम पर हमें अपना दीवाना बना डाला है.
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अल्लामा इकबाल की गजल
जब कभी हम उसकी यादों को दिलसे मिटाने जाते हैं,
कुछ तादात किस्से उसके वापस जिंदा हो जाते हैं.
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अब जिंदगी कोई अच्छी बात बची नहीं हैं,
क्योंकि मेरी मोहब्बत जो अब मेरे साथ नहीं हैं.
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उसका जिस्म देखकर ही क्यों आखिर उसपर मरते जाते हो,
उसका ज़मीर है कैसा, क्या तुम उसका मिज़ाज़ जानते हो.
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हरपल हर लम्हा हम उनसे मिलन को तड़पते जाते हैं,
और एक वो है जो हमसे नहीं हमारी दौलत पर मरते जाते हैं.
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Allama Iqbal Shayari in Hindi pdf Download
अगर होने होते है तो सिर्फ ओ सिर्फ आखों से होते है इशारे मोहब्बत के
और अगर न होने हो तो अक्सर एकसाथ रहकर भी कुछ नहीं होता.
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कोई कहो उसकी यादों को की कभी तो मेरा पीछा छोड़ दे, हर सुबह हर शाम में डूबा हुआ रहता हूं उसी के खयालों में
इस कम्बखत दिल को और कितना समझाऊं की उस बेवफ़ा के लिए आंसू बहाना छोड़ दें.
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हर जगह में उसकी परछाई नजर आती है छूं किसी चीज़ को तो वो अक्सर सच हो जाती है,
ये दुनिया कितनी खूबसूरत है, जब वो सामने आती है तभी समझ में आती है.
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Allama Iqbal Shayari Urdu
खुदा, भगवान, जीसस नाम अलग अलग लेकिन सभी एक है,
ये ज़माने की हदों को छोड़ो जनाब इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है.
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जनाब मोहब्बत भी हो हिजाब में किसी का हुस्न भी हो हिजाब मैं
ये तो जिंदगी बिताना तो बहोत अच्छा तरीका है हर खुशी का पल हो हिजाब मैं.
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यही जिंदगी है इसे ही हमें जी कर बताना है,
मत डर दोहज्जग से कम्बखत
तुझे अपने कर्मों की वजह से यही जल जान है.
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वही मेरी ख्वाहिश तो वही मेरी जिंदगी का सुरूर है,
जन्नत से कम नहीं है मेरी जिंदगी
और वो जन्नत जैसी जिंदगी की इकलौती हूर है.
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