khuda aur mohabbat shayari | खुदा और मोहब्बत शायरी

khuda aur mohabbat shayari | खुदा और मोहब्बत शायरी

इश्क़ जिस तरफ निग़ाह कर गया,

झोपड़ी हो या महल सब तबाह कर गया....!

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बड़ी ही खूबसूरत शाम थी वो तेरे साथ की ,

अब तक खुशबू नही गई मेरी कलाई से तेरे हाथ की।

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इंसान हमेशा तकलीफ में ही कुछ सीखता है...

खुशी में तो वो पिछले सबक भी भूल जाता है...

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खुदा का वास्ते तुम इस अदा से मत मुस्कुराया करो,

चाँद, तारे, रात, अरमाँ और मैं, सब बहक जाते हैं.! 

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ये बेवजह फासले आखिर कम क्यों नहीं होते....

मैं और तुम मिलकर आखिर हम क्यों नहीं होते...

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मुझे ईश्क है हर उस लम्हे से,

जिस लम्हे में मैने तेरे आने का इंतजार किया!

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"तुम्हारे एक लम्हें पर भी मेरा हक़ नहीं..

ना जाने तुम किस हक़ से मेरे हर लम्हें में शामिल हो...!!!"

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ओ..जानेबहार हर उस तुम्हारी बात से शिकायत है मुझे...!! 

जहां ज़िक्र मेरा, तुम्हारे साथ नहीं...!!!!

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रात क्या ढली सितारे चले गए, 

गैरों से क्या शिकायत जब हमारे चले गए, 

जीत सकते थे हम भी इश्क़ की बाज़ी, 

पर उनको जिताने की धुन में हम हारे चले गए 

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यूही किसी की याद मे रोना फ़िज़ूल है 
 
इतने अनमोल आसू खोना फ़िज़ूल है 
 
रोना है तो उनके लिये जो हम पे निसार है 
 
उनके लिये क्या रोना जिनके आशिक़ हज़ार है

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मुझे उसके पहलू में आश्यिाना ना मिला.. 
 
उसकी जुलफों छाओं में ठिकाना ना मिला.. 
 
कह दिया उसने मुझको बेवफा... 
 
जब मुझको छोडने का उसे कोई बहाना ना मिला

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सूरत पर मरने वाले लोग,

काश सीरत टटोलना सिख पाते।

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khuda aur mohabbat shayari | खुदा और मोहब्बत शायरी

किसी के जैसा बनने की नही...

बस अपने जैसा रहने की जिद है...!!

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तेरी बाहों में बसता है मेरा फ़िरदौस-ए-जहाँ...

सुकून की तलाश में फिर तुझसे दूर जाऊं कहाँ....

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इश्क खुदा शायरी

लोग पूछते है तुमने दर्पण में ऐसा क्या देखा??

मैंने कहा सिर्फ उसको देखने के बाद फिर कुछ ना देखा....

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“एक उसकी बेरुख़ी ने ये हाल बना रखा है...,

जो जज़्बात सिर्फ़ दोनों के थे आज ज़माना पढ़ रहा है!”

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आँख लटकी हुई है तब से सुई पर... 
 
जब से तूने कहा था बस आया मैं..

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न जाने कैसे कैसे सद्मे देती है जिन्दगी भी ।

 साथ आंसुओं के मुश्कुराना पड़ता है ।। #🖤🖤🖤

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खुदा शायरी

जब भी फ़ुर्सत मिली हंगामा-ए-दुनिया से मुझे 

मेरी तन्हाई को बस तेरा पता याद आया !!

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ऐ मेरी ज़ात की राहत क़याम कर मुझ में

कि फिर लपेट कर बाँहों में मार दे मुझको

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हमारे शहर में सायों का एहतराम कहाँ

शज़र घना हो तो शाख़ों को काट देते हैं

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दिखाते हैं तुम्हें हम पार कर के 

बनाओ आग का दरिया बनाओ

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खुदा की इबादत शायरी

"तुझे 'सितम' करने हैं
 तो 
'इंतेहा' की हद तक कर मुझ पर
 हमें तो

"मुहब्बत" है तुझसे
 हम इसे 
'इंतेहा' की 'हद' पार करके भी करेंगे"

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पुरानी होकर भी खास होते जा रही है,

मोहब्बत बेशरम है बेहिसाब होते जा रही है।

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खुदा की रहमत पर शायरी

सर झुका कर करुँ मैं तेरी बंदगी...

तेरे ही हाथों में रहे मेरी ये जिंदगी....

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“हम तो फिर भी शायर हुए…इश्क़ हार के,

हमने तो सुना है लोग पागल भी हो जाते हैं ।”

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तुम खो गये महफिलो की झूठी चमक देख कर ।

हमने अन्धेरे मे जिन्दगी तलाश कर ली ।। 🖤🖤

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उसको इल्म ही नही था......!

के ख़ुद से ज्यादा उसके थे हम....!

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वही होगा जो मंजूरे खुदा होगा शायरी

हर उम्र मे पड़ती हैं  जरूरत सुकूं की।

बाद चालीस के भी दिल दिल ही रहता है ।।

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मोहब्बत मेरी उस मुकाम पर आ पहुँची है,

जहाँ से तेरी बेवफाई भी खूबसूरत लगती है...!!

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मेरे आने के बाद पूछ रही थी वो गली में बच्चो से, 

वो जाने वाला रास्ते मे रोया तो नही था...

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जिस रास्ते पर तुम चलना सीख रहे हो,,,

उस पर हमने खेलना छोड़ दिया...

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खुदा हाफिज पर शायरी

रिहा हो गई वो बाइज्ज़त कत्ल के इल्जाम से,

निगाहों को अदालत ने हथियार ही नहीं माना..!

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मेरी बैचैन सी सांसों में, बस  तेरा  ही  पहरा है।

तेरी चाहत का दिल में, रंग .... सबसे गहरा है।

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इश्क शायरी

धुआँ-धुआँ सा सही, तेरी तस्वीर याद तो है...
भूली बिसरी सी वो पुरानी बातें, दिल को रास तो है..

तो क्या हुआ, जो तुम मेरी हो नहीं सकते..
अश्क भरे नैनो में ही सही, तेरा हसीं ख्वाब आबाद तो है...

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मुस्कुराहट भी हमारी सदियों से उदास है,
कहकहा भी जैसे, खो गया हो अब..!

तेरे जाने के बाद कुछ भी नहीं हुआ अच्छा,
मुक़ददर हमारा जैसे, सो गया हो अब।।

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खुदा शायरी रेख़्ता

पर्दा तो शर्म का ही काफी है,,,

वरना इशारे तो घूंघट में भी होते...

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आखों को भी पता ना चलने दिया

इतनी ख़ामोशी से दिल रोया है

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मेरा दिल भी उसका ग़ुलाम है 

मुझे भी कोई आज़ाद करवा दो

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मोहब्बत में अब तक मरी तो नहीं हूं 

मगर अब तू जिन्दा भी ना मान मुझको

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मोहब्बत शायरी

आइये, बैठिये और मेरा हाल देखिए , 

जो दी थी बद्दुआ उसका कमाल देखिए..!!

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मुद्दत गुज़र गयी है यह आलम है

कोई सबब नहीं मगर दिल उदास हैं

सिर्फ़ साँसों की डोर जारी है

वरना मुद्दत हुईं हमें गुज़रे हुये

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दफनाना मेरे खयाल जरा देखभाल कर 

हर कोई ख्वाब नहीं होता.!!

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कौन कहता है कि वो मुझसे बिछड़ के खुश है

ज़रा उसके सामने मेरा नाम तो ले के देखो

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खुदा की रहमत शायरी 4 Line

कौन तन्हाई का एहसास दिलाता है मुझे

ये भरा शहर भी तन्हा नज़र आता है मुझे

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बारिश हुई तो तेरी ख़ुशबू के काफिले

 ऐसे उड़े के शहर गुलाबों से भर गया

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हम ने कफस सजा के भी दिल को दिया फरेब...

लेकिन कफस ,कफस था गुलिस्तां न बन सका....

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दुआ पर शायरी

निगाह-ए-यार न हो, तो निखर नही पाता,,

कोई जमाल की जितनी भी देख भाल करे..!!

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शाहजादी थी मैं कभी अपने मिज़ाज को, कमबख़्त

इश्क़ ने तेरे दीदार का मोहताज बना दिया...❤

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रचना पर शायरी

"अपनी पलकों में रहने दे रात भर के लिए"

"मैं तो एक ख्वाब हूँ सुबह होते ही चली जाऊँगी"

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तेरे नाम की तकबी पड़ते गुजार दिया जीवन तमाम ।
  
तू आयेगा कभी इस उम्मीद मे हमनें सासें नही जाने दी ।। 🖤🖤

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सुनो तुम जो ये इश्क जी रहें हो ।

खाक कर दिया हमने इसमे जिन्दगी को जला के ।। #sk 🖤🖤🖤

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