zindagi sad shayari in urdu | जिंदगी सेड शायरी इन उर्दू
परिस्थितियाँ जितनी ज्यादा आपको तोड़ती हैं..
उससे कहीं ज्यादा आपको मजबूत बना देती हैं..।
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लफ्जों का इस्तेमाल हिफाज़त से करिए,
ये परवरिश का बेहतरीन सुबूत होते हैं..
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जिंदगी जी लीजिए,
वरना गुजर जाएगी।
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“yaad uski abhi bhi aate hai,
bure adat hai kahan jati hai”.
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“kitni ajeeb baat hai na ki log baat,
pakad kar insaan ko chorr dete hain.”
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किसी को झूठी उम्मीद देने से अच्छा है,
सच बोलकर उससे दूर हो जाओ..
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रात क्या होती है हम से पूछिए
आप तो सोए सवेरा हो गया
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ग़म छिपाने के सौ तरीक़ों में
मुस्कुराना ही सबसे मुश्किल है
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“ek shaam aur dhal gayi,
ek din aur jee liya.”
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किसी के पास रहना हो
तो थोड़ा दूर रहना चाहिए
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इंतज़ार...अच्छा लगता है,
जब भी... तुम्हारा होता है...
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कमियां है तो रहने दो,
ख़ुद को खुदा नहीं बनाना हमें।💫
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दुखो वाली रात नींद नही आती...
और ख़ुशी वाली रात सोता ही कौन है....
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प्यार कैद है। इस कैद की आदत पड़ने से
सलाखें टूट जाती हैं तो रिहाई मर जाती है
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जज़्बातों को शब्दों में पिरोना अच्छा लगता है,
बस मुझको लिखना अच्छा लगता है..!💞
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मर्दाना कमज़ोरी से रंगी हुई है शहर की दीवारें,
और तुम कहते हो औरतें कमज़ोर है !!
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सारे इत्रो की खुशबू आज मंद पड़ गई
मिट्टी में बारिश की बूंदे जो चंद पड़ गई 🌧️
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उसने तारीफ ही कुछ ऐसे अंदाज से की थी
की अपनी ही तस्वीर को सौ सौ दफा देखा मैंने..
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गूँगे निकल पड़े हैं जुबाँ की तलाश में,
सरकार के ख़िलाफ़ ये साज़िश तो देखिये !!
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खुद को ढूँढें,
बाकी सब कुछ गूगल पर है!!
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कुछ ऐसे नाराज़ होती है वो
बालों को बांधकर रखती है......
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"सारे ज़माने में बट गया वक्त उनका ,
हमारे हिस्से में सिर्फ बहाने आए."
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किस उम्र तक पढ़ा जाए
और किस उम्र से कमाया जाए...,
ये शौक नहीं, हालात तय करते हैं
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“ye jo guzar raha hai,
waqt nahi hai, zindagi hai.”
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हम वो हैं जो ख़ुदा को भूल गए,
तुम मेरी जान किस गुमान में हो।
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“छत टपकती हैं उसके कच्चे मकान की....
फिर भी बारिश हो जाये तमन्ना हैं किसान की”
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तुम से मिल कर इतनी तो उम्मीद हुई है
इस दुनिया में वक़्त बिताया जा सकता है
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घर की शादी में
सबसे सस्ते कपड़े
सिर्फ़ पिता के होते हैं।
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तुम लाना दो खाली सूटकेस,
तुम्हारी बहुत सी यादें वापस करनी हैं..
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बेपनाह मोहब्बत है,
बेपरवाह लोग से ..!💔
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ये किस बुलंदी का नशा हावी है...
लोग उठने के लिये, रोज गिरते हैं...!!
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तमाम उम्र... तेरा इंतिज़ार कर लेंगे...
मगर ये रंज रहेगा... कि, ज़िंदगी कम है...!!
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“chehre pe kitne chehre hote hai,
log andar say kitne gehre hotay hain.”
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मुझको मेरे वजूद की हद तक न जानिये
बेहद हूँ बेहिसाब हूँ बेइंतेहा हूँ मैं
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नाराज़गी आज उसने कुछ यूँ,,, जाहिर कर दी,
'चाय' तो लाई बना कर मगर दूर रख दी,,,,
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उसकी पेशानी पे सजदों के निशाँ ऐसे हैं
जैसे फूलों पे कोई खुशबु से आयत लिख दे
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बस किसी एक के फोन कॉल के इंतज़ार में,
लाखों लोग पुराना फोन नंबर चला रहे है।।
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हादसों की ज़द पे हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें
ज़लज़लों के ख़ौफ़ से क्या घर बनाना छोड़ दें
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वक्त तुमको बताएगा
हम कितने कीमती थे
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करीबी और गरीबी,
दोनों रुलाया ही करती है साहब।
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