ghalib shayari on love | गालिब शायरी लव

ghalib shayari on love | गालिब शायरी लव 

ghalib shayari on love | गालिब शायरी लव

लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं,

इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं!

मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए,

और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूँ हैं!

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ghalib shayari on love | गालिब शायरी लव

ना बयां कर सकूँ ना ही जाहिर होती है,

ये बेचैनी बड़ी कमाल की चीज होती है!!

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ghalib shayari on love | गालिब शायरी लव

असर भी बेअसर होने लगा,

जब बात मेरे जख्मो की आई!

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ghalib shayari on love | गालिब शायरी लव

होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है ,

इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है !!

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ghalib shayari on love | गालिब शायरी लव

लहजा, फ़िक्र ओ जुनून जता देगा मालिकाना हक,

फ़क़त दस्तख़त से कौन किसका होता है..!!!!

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ghalib shayari on love | गालिब शायरी लव

मैं मर जाऊँ तो आ जाना मेरी कब्र पर गुलाब ले कर,

जीते जी ना सही मरने के बाद तो एक हसीं मुलाक़ात हो!!

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ghalib shayari on love | गालिब शायरी लव

आज जुदा हो जायेगा वो शख्स हम से "ख्वाहिश" ,

वो जिसके साथ मेने उम्र भर के ख्वाब देखे थे !!!!

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ghalib shayari on love | गालिब शायरी लव

कोई जरूरी नही कि जुबा से ही गुफ्तगू की जाए

तुम्हारी खामोशी को पढ़ना मुझे बहुत अच्छा लगता है

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ghalib shayari on love | गालिब शायरी लव

मैं ग़र जो बिन बताये दुनिया से हो जाऊँ रुखसत,

ऐ मेरे दोस्तों उस परदेशी के आने तक जरा इंतजार करना!!

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ghalib shayari on love | गालिब शायरी लव

मैं नीम सा कड़वा हूँ, तो मुझे कड़वा ही रहने दो..!

ये शक्कर दिख के, नमक का काम करना मुझे नहीं आता !

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इन शायरियों में खो गया है कहीं सकुन मेरा,

जो तुम पढ़कर मुस्कुरा दो तो वसूल हो जाए!

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गर्मी की उम्मीद मिली है खाक में,

देखो बरसात आ गई बैशाख में!

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हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है,

तुम्हीं कहो के ये अंदाज़-ए-बयां अच्छा है।

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हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी, कि हर ख्वाहिश पे दम निकले

बहुत निकले मेरे अरमाँ, लेकिन फिर भी कम निकले

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ज़िन्दगी धूमिल हो गई, ज़िन्दगानी बेबस हो गई,

जब आप जैसे दोस्त मिल गए, 

तो ज़िंदगी में इक नई जान मिल गई।

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दर्द को दिल में जगह दो अकबर,

इल्म से शायरी नहीं होती।

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बस नाम लिखने की इजाजत नहीं मिली

बाकी हम सब कुछ तो तुम पर ही लिखते है।

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बहुत मायूस हूं में मुझे आज अपना ही होश नहीं,,
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पहले दुनिया की खबर थी आज अपनी खबर नहीं!!

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दुनिया में यदि कुछ,

त्वरित गति से होने वाला है तो वह है....!

'प्रेम' जो क्षणभर में, उम्रभर के लिए हो जाता है !

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यादें मार देंगी आपकी हमे एक दिन सुनो जनाब,,,,

आप तो दूर गए पर इन्हे ताउम्र के लिए छोड़ दिया!!

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ghalib shayari on love | गालिब शायरी लव

तेरी दुआओं में असर हो तो मस्जिद को हिला के दिखा
नहीं तो दो घूँट पी और मस्जिद को हिलता देख

Teri Duao Me Asar Ho To Masjeed Ko Hila Ke Dekha
Nhi To Do Ghut Pee Aur Masjeed Ko Hilta Dekh.

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मौत पे भी मुझे यकीन है,
तुम पर भी ऐतबार है,
देखना है पहले कौन आता है,
हमें दोनों का इंतजार है।

Maut pe bhi mujhe yakin hai,
tum par bhi yetbar hai,
dekhna hai pahle kaun aata hai,
hume dono ka intezar hai.

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बे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब
जिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रूलाता ज़रूर

Be-Wajha Nhi Rota Ishq Me Koi Ghalib
Jis Khud Se Badh Kar Chao Wo Rulata Zarur.

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दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई
दोनों को एक अदा में रजामंद कर गई

मारा ज़माने ने ‘ग़ालिब‘ तुम को
वो वलवले कहाँ , वो जवानी किधर गई

Dil Se Teri Nigaha Jigar Tak Utar Gai
Dono Ko Ek Ada Me Rajamand Kar Gai

Mara Jamane Ne Galib Tum Ko
Wo Walvley Kha, Vo Jawaani Kidhar Gai.

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वो उम्र भर कहते रहे तुम्हारे सीने में दिल नहीं,
दिल का दौरा क्या पड़ा ये दाग भी धुल गया।

Wo umar bhar kahte rahe tumhare sine mein dil nahi,
dil ka daura kya pada ye daag bhi dhul gaye.

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वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं,
कभी हम उनको तो कभी अपने घर को देखते हैं।

Wo aaye ghar mein hamare khuda ki kudrat hai,
kabhi hum unko to kabhi apne ghar ko dekhte hai.

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नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को,
ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं।

Nazar lage na kahi uske dast ao baaju ko,
ye log kyu mere jakhme jigar ko dekhte hai.

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सब ने पहना था बड़े शौक से कागज़ का लिबास
जिस कदर लोग थे बारिश में नहाने वाले

अदल के तुम न हमे आस दिलाओ
क़त्ल हो जाते हैं , ज़ंज़ीर हिलाने वाले

Sab Ne Pahna Tha Bade Sauk Se Kagaj Ka Libaas

Jis Kadar Log The Barrish Me Nahane Vale

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रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल,
जब आँख से ही न टपका तो फिर लहू क्या है।

Ragon mein daudte firne ke hum nahi kayal,
jab aankh se hi na tapka to fir lahu kya hai.

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Nazar Lage Na Kahi Uske Dast-O-Baju Ko
Yeh Log Kyun Mere Zakhm-E-Jigar Ko Dekhate Hai

नज़र लगे ना कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को
ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्म-इ-जिगर को देखते हैं

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Hatho Ki Lakiron Pe Mat Ja Ae Ghalib
Naseeb Unke Bhi Hote Hain Jinke Hath Nahi Hote

हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब
नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते

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Ghalib Bura Na Maan Joh Waaiz Bura Kahe
Aisa Bhi Koi Hai Ki Sab Accha Kahe Jise

ग़ालिब बुरा ना मान जो वाइज़ बुरा कहे
ऐसा भी कोई है की सब अच्छा कहे जिसे

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Tere Zawahire Tarfe Kal Ko Kya Dekh
Hum Auze Tale Laal-O-Guhar Ko Dekhate Hai

तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें
हम औजे तले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं

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Tum Na Aaye To Kya Sahar Na Huyi
Haan Magar Chain Se Basar Na Huyi
Mera Nala Suna Zamane Ne
Ek Tum Ho Jise Khabar Na Huyi

तुम ना आए तो क्या सहर ना हुई
हाँ मगर चैन से बसर ना हुई
मेरा नाला सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर ना हुई

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Woh Cheez Jiske Liye Hamko Ho Bahisht Azeez
Siwaye Bada-E-Gulfaam-E-Mushkabu Kya Hai

वो चीज़ जिसके लिये हमको हो बहिश्त अज़ीज़
सिवाए बादा-ए-गुल्फ़ाम-ए-मुश्कबू क्या है

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