gulzar ki shayari in hindi | गुलजार की शायरी इन हिंदी
तुमसे सदियों की वफाओं का कोई नाता था
तुमसे मिलने की लकीरे थी मेरे हाथों में
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लोग कहते हैं कि रंग पीला पड़ गया है तुम्हारा,
अब उन्हें क्या खबर की खून चुस्ती है यादे किसी की!
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आइना कब तक तोड़ोगे साहब,
मानते क्यू नहीं की दाग चहरे पर ही है!
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अगर आपका दिल किसी के लिए फिक्र महसूस करता है तो जरूरी नहीं कि वो प्यार ही हो,
अगर आपको कोई अच्छा नहीं लगता तो जरूरी नहीं कि वो बेकार ही हो,
अगर कोई वादा करके भूल जाए तो जरूरी नहीं कि वो सरकार ही हो
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ज़ुबानों के पीछे मत चलो,
कोई तुम्हे ऐसी कहानी नही सुनायेगा!
जिसमे वो ख़ुद गद्दार हो!
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जिन्हें महसूस इंसानों के रंजो-ग़म नहीं होते,
वो इंसान भी हरगिज़ पत्थरों से कम नहीं होते !!
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वो चंद लम्हे जो गुज़रे है तेरे साथ,
ना जाने कितने बरस मेरे काम आएंगे..!!
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तुम जब आओगी तो खोया हुआ पाओगी मुझे !
मेरी तन्हाई में , ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं !!
मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें ,
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं!!!
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मेहनती हमसफ़र ,
खूबसूरत हमसफ़र से लाख गुना बेहतर होता है
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चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
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सब खराब आदतें छोड़ने लगा हूं...
इत्तेफाक से उनमें तेरा भी शुमार है!
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नफ़रत हो जायेगी तुझे अपने ही किरदार से,
अगर मैं तेरे ही अंदाज में तुझसे बात करुं..!!
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इस तरह याद आके बेचैन ना किया करो,
एक ये ही सजा काफी है के पास नही हो तुम
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क्या नया है इस साल में,
वही तलब, वही तड़प, और वही तस्वीर।
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वो लेने लगी है- खैरियत अब किसी और की
मैं किस हाल में हूंँ उसको क्या पता होगा!!
वहीं मोबाइल वहीं वक्त वहीं वीडियो कॉल का सिलसिला
बस उसके डिस्प्ले पे चेहरा नया होगा!
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कभी घंटो तक होती थी बातें,
अब अरसे से अजनबी हैं हम!!
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बड़े सुकून से वो रहती है आज कल मेरे बिना,
जैसे किसी उलझन से छुटकारा मिल गया हो उसे..
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के वक्त पड़ा तो जान छुड़ा ली!
जान से प्यारे लोगों ने!
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मैं जिंदगी का हर बोझ खींच लाऊँगा ,,
मेरे घर वाले ही मुझे " हिम्मत " देते हैं !!
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वो चंद लम्हे जो गुज़रे है तेरे साथ,
ना जाने कितने बरस मेरे काम आएंगे..!!
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