दर्द भरी दुआ शायरी | dard bhari dua shayri

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दर्द भरी दुआ शायरी | dard bhari dua shayri 

दर्द भरी दुआ शायरी | dard bhari dua shayri

हर वक्त तू उसकी याद में रहता है,
कुछ पल खुशी के बिता तो सही,
भर जाते हैं ज़ख्म बड़े से बड़े भी
एक बार उससे बाहर आ तो सही!
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मुझे दर्द-ए-इश्क़ का मज़ा मालूम है,
दर्द-ए-दिल की इन्तहा मालूम है,
ज़िंदगी भर मुस्कुराने की दुआ मत देना,
मुझे पल भर मुस्कुराने की सज़ा मालूम है।
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किसी का दिल इतना भी मत दुखाओ कि,
वो खुदा के सामने तुम्हारा नाम लेकर रो पड़े।
मुझे दर्द में तपदिल करके,
अब मेरा हमदर्द बनने की कोशिश ना कर। 
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उसको लगता है मुझको दर्द नहीं होता,
खेर बात को क्या बढ़ाना नहीं होता तो नहीं होता। 
ना जाने इतना दर्द क्यों देती है ये मोहब्बत
की हँसता हुआ इंसान भी मौत मांगता है!
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तेरे दिल की महफिल सजाने आए थे,
तेरी कसम तुझे अपना बनाने आए थे,
ये तो बता किस बात की सजा दी तूने ओ बेवफा,
हम तो तेरे दर्द को अपना दर्द बनाने आए थे।
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कल तुम्हे फुरसत ना मिली तो क्या करोगे,
इतनी मोहलत ना मिली तो क्या करोगे,
रोज़ कहते हो कल बात करेंगे,
कल हमारी आँखें ही ना खुली तो क्या करोगे!
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मोहब्बत की कश्ती में,
सोच समझ कर सवार होना मेरे दोस्त,
जब ये चलती है तो किनारा नहीं मिलता,
और जब डूबती है तो सहारा नहीं मिलता।
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हर बात में आंसू बहाया नहीं करते,
दिल की बात हर किसी को बताया नहीं करते,
लोग मुट्ठी में नमक लेके घूमते है,
दिल के जख्म हर किसी को दिखाया नहीं करते। 
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ऐ खुदा ऐसा सितम कभी ना हो,
इस तरह बेबस कभी ज़िंदगी ना हो,
तन्हाई की एक घड़ी मौत से भी बदतर है,
इस दुनिया में कोई मेरी तरह तन्हा ना हो।
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दिल का दर्द एक राज बनकर रह गया,
मेरा भरोसा मजाक बनकर रह गया,
दिल के सौदागरों से दिल्लगी कर बैठे,
इसलिए मेरा प्यार इक अल्फाज बनकर रह गया।
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हमने भी कभी प्यार किया था आपसे,
थोड़ा नही बेशुमार किया था आपसे,
दिल टूट कर रह गया, जब उसने कहा अरे मैंने तो  
थोड़ा मज़ाक किया था । 
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ये सच है कि हम मोहब्बत से डरते हैं,
क्यूँ कि ये प्यार दिल को बहुत तड़पाता है,
आँख में आँसू तो हम छुपा सकते हैं,
दर्द-ए-दिल दुनिया को पता चल जाता है। 
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प्यार मुहब्बत का सिला कुछ नहीं,
एक दर्द के सिवा मिला कुछ नहीं।
सारे अरमान जल कर ख़ाक हो गए,
लोग फिर भी कहते हैं जला कुछ भी नहीं। 
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अब दिल के ज़ख्म मेरे टूटे कांच की तरह हो गए, 
किसी को लग ना जाए इसी लिए सबसे दूर होते गए।
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मर जाऊ मैं तूझे खबर तक ना मिले, 
तू ढूंढता रहे मुझे पागलों की तरह, 
और मेरी कबर तक ना मिले।
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