heart touching sad poetry in urdu | हार्ट टचिंग सेड पोएट्री इन उर्दू
जल बहा निचली ढलानों में
मिट्टी भी गिरी गहरी खदानों में
टिके रहे वे पेड़ महान
जिसे लगे सभी गिराने में
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2 line Heart touching poetry
साँझ ढल रही है यूँ बैठे बैठे देर न करो
वक़्त निकला जा रहा है घर लौट चलने का
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कभी कभी हालात मुझे एक अलग दुनिया में ले जाते हैं
और कभी वही हालात असली दुनिया भी दिखा जाते हैं
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Heart touching Poetry In Urdu picture
तुम बंजर हो जाओगे
यदि इतने व्यवस्थित ढंग से रहोगे
यदि इतने सोच समझकर
बोलोगे चलोगे,
कभी मन की नहीं कहोगे
सच को दबाकर झूठे प्रेम के गाने गाओगे
तो मैं तुमसे कहता हूँ
तुम बंजर हो जाओगे।
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Heart touching Poetry Lines
खामोशियाँ तेरी बेवजह तो नहीं,
और जिद्द मेरी इत्तेफाक नहीं।
हीर तू भी न बनी, और रांझा मैं भी नहीं।।
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ज़िन्दगी में हमेशा एक बात का गम रहा
मेरा ताल्लुक उससे ज्यादा उसका मुझसे कम रहा
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Deep Heart touching love Poetry in Urdu
अपना गुस्सा इतना महंगा कर दो की कोई खरीद न पाए और अपनी खुशी इतनी सस्ती कर दो की सब ले जाएं....
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मैं ग़र भरम में जी रही हूँ तो मुझे भरम में जीने दे,
ये भरम हक़ीक़त से कितना खूबसूरत लगता है।
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Heart touching poetry in urdu 4 line
दिल तो जीतने की ही चीज़ है,
मगर ना जाने लोग क्यूँ तोड़ जाते है।
कल हाथ जो थामा करतें थे
मुश्किल में ना जाने क्यूँ छोड़ जाते है।।😔😔
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लहरों में समा जाती हैं उस घर की दीवारें,
वो समंदर ही शायद अब उसका घर है,
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क्यों लेते हो तुम मेरे सब्र का इम्तेहान,
ऐसे ही तेरी यादों ने बेसब्र कर रखा हैं
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तुम अपने ज़हन में कभी ये वहम ना लाना
के ज़िन्दगी के सफ़र में दूसरा हमसफ़र चाहिए मुझे
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देख लेने दो ज़रा जी भर कर मुझे
अब रात तो होगी पर तु साथ नहीं
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यह कैसी तेरी दिलदारी है
पास होकर भी बेकरारी है
खबर है मुझे के तुझे नहीं है
सच में मुझे तेरी खुमारी है
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बहुत कुछ खोया है समझदार होकर हमने
क्या कहें खो दिया है अपना बनाकर तुमने
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तेरे मेरे इश्क की कुछ ऐसे शुरुवात हुई है
आंखो से शुरू हुई बात एहसासों पर खतम हुई है
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बहाना बिछड़ने का उसने खूब किया
अपना नाम किसी और के साथ जोड़ लिया
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काग़ज़ भीग पड़ते हैं
जब आँसूं रुक जाते हैं
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पहले हुई बाते फिर हुई आंखे चार
जगह मिली दिल मैं होने लगा इंतजार
रहने लगे हम भी उसके लिए बेकरार
दीदार के बाद भी ना आए हमे सुकून ओ करार
शायद इसी एहसासों को कहते है प्यार
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तुम्हे पढना पसंद थी ,इसी लिए लिखा करते थे,
क्या पता था ये शायरी मुझे चाहने लगेगी।।
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मुश्किलों से लड़ते इंसान देखा ...
खुद बिक गया, जमीर ना बेंचा ऐसा भी इंसान देखा .....
पूरे साल नोचते इस देश के शरीर को ...
उन गद्दारों को तिरंगा उठाते मैंने आज सरेआम देखा ....
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मेरी खामोशी से अगर तू वाकिफ होता
आने वाले तूफान का तुझे अंदेशा होता
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शोले बरसते है मेरे लफ्जो से कोई जल तो रहा होगा
पढ़ कर मेरे अल्फाजों को वो राख हो रहा होगा
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मैं आग हु मुझे जलाने की बात करते है
ये तोड़ने वाले लोग घर बनाने की बात करते है
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किस कदर मिटाऊ उसकी यादों का जो दर्द है,
उसकी यादें ही इलाज, उसकी यादें ही तो मर्ज है...
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ㅤㅤㅤㅤㅤㅤ:
बोझ थोड़ी होती हैं,,, मुहब्बत,,
लेकिन....
झुका अच्छे अच्छे को देती है,,
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ना ही वो बेवफा ना ही उसका कोई कसूर है,
मैं अपनी किस्मत, वो अपनो से मजबूर है...
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ये तुम्हारा नहीं, जी हां उनका ही कसूर है
तुम्हे अपने इश्क का, उन्हें अपनी सुन्दरता का गुरूर है
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जब दर्द हद से गुज़र जाए,
फिर दर्द दर्द नहीं सुकून देता है
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