ghalib shayari in urdu text | गालिब शायरी इन उर्दू

ghalib shayari in urdu text | गालिब शायरी इन उर्दू

ghalib shayari in urdu text | गालिब शायरी इन उर्दू

बात करो रूठे यारों से, सन्नाटे से डर जाते हैं
इश्क़ अकेला जी सकता है, दोस्त अकेले मर जाते हैं !!

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Ghalib Shayari in Urdu English

ख्वाब, उम्मीद, तमन्नाऐं... ताल्लुक... रिश्ते
जान ले लेते हैं आखिर ये सहारे सारे..!!

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उसको बढ़ाने थे फासले, हर हाल में मुझसे,
 मुझे हर हाल में उनसे महोब्बत निभानी थी!!

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ख़ुद को सुनने के लिए खुद के कान दिया करो,
कदमों को जमीन और हाथों को छूने के लिए आसमान दिया करो..
उड़ते हुए सन्नाटे को अपने आप संभाल लेगा हौसला,
तुम अपने सपने को पूरा करने की जुबान दिया करो

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Ghalib Shayari In Urdu sad

चाहत हैं, अब ना चाहूँ तुझको !!

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बदल जाओ वक्त के साथ या फिर वक्त बदलना सीखो
मजबूरियों को मत कोसों हर हाल में चलना सीखो

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जो लोग सवाल नहीं उठाते, वे पाखंडी हैं 
जो सवाल नहीं कर सकते, वे मूर्ख हैं  
जिनके ज़हन में सवाल उभरता ही नहीं वे ग़ुलाम हैं।

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Ghalib best poetry In Urdu

फ़सादों में जो शामिल हैं वो मोहरे हैं सियासत के 
ख़ुद अपने आप कोई भी यहाँ दंगा नहीं करता 

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तेरी यादें दिल से मिटाना इतना आसान नही....
तुझे खुद से दूर करना इतना आसान नहीं....
चाहे जुदा किया हो किस्मत ने हमें एक दुसरे से...
रुह से रुह को जुदा करना इतना आसान नहीं....

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Ghalib Shayari In Urdu about life

मैं भला क्यूँ अब उसकी तमन्ना करूँ,
मेरा हो के भी जब वो मेरा न हुआ..

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इतना आसान कहाँ है मन का करना! 
बहुत सारे प्रलोभन छोड़ने पड़ते हैं। 
बहुत से अपनों को नाराज़ करना होता है।

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Ghalib Shayari In Urdu love

जिंदगी का नशा क्या चढ़ा लड़खड़ा रहा हूँ 
गिरते उठते सँभलते रपटते चला जा रहा हूँ

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"तुम्हारे इश्क को कुछ इस तरह से निभाते हैं हम..
"तुम नहीं हो तकदीर में फिर भी तुम्हें बेपनाह चाहते हैं हम।

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Ghalib Shayari in English

ये तबियत अमीर जादी है हर नई चीज पर मचलती है,
मैं बदलता नही लिबास अपने, जितने मेहबूब ये बदलती हैं..

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खूबसूरत तेरी मोहब्बत, 
और उससे भी खूबसूरत है तू ☺️..

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Mirza Ghalib ghazal

तुम समझते हो चाय पिला कर मुझे मना लोगे__
हाँ तुम ट्राय करो ऐसा हो भी सकता है़।।

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एक छोटा गुनाह मोहब्बत का . . 
ज़िन्दगी भर हिसाब लेता है

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मुझे परवाह नही की लोग क्या कहते है,
मुझे नजरे खुद से मिलानी है लोगो से नही

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इश्क़ तो उसे किसी और से था लेकिन . . 
मेरा शिद्दत से चाहना उसे बहुत पसंद था

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Mirza Ghalib In Urdu

अजब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला जिंदगी का,
सुकून ढूढनें चले थे, नींद ही गवा बैठे..!!

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हादसा भी हो और हँसी भी हो,
ये कमाल बस इश्क़ को आता है.!!

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अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए

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खुल जाता है तेरी यादों का बाजार सुबह सुबह और हम उसी रौनक में पूरा दिन गुजार देते है..

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ग़ालिब शायरी रेख़्ता

जिस शख्स की गलती, गलती ना लगे,
किताब - ए - इश्क में उसे महबूब कहते हैं !!

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एक दूरी बनाए रखिये
सबसे नज़दीकियाँ निभाते हुए !!

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तलब एक तेरी है,
मोहब्बत तो मैं हर किसी से करता हूँ !!

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तुम किताब-ए-जिंदगी का एक पन्ना खाली रखना.. 
कभी जो याद आऊँ मैं तो मेरा नाम लिख देना !!

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Mirza Ghalib best shayari

किसी को फिर भी महँगे लग रहे थे 
फ़क़त साँसों का ख़र्चा था हमारा !!

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किसी का साथ अगर तुम ज़िन्दगी भर चाहते हो,
उसे ये मत बताओ कि उसे कितना चाहते हो......

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अपने रव्वय्यो की वजह से कुछ लोग,,
हमारे सीनो में बिना कफ़न के दफ़न हैं..!!

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बस यही सोच के क़ैदी तेरे सोते नहीं है 
ख़्वाब में पैर से ज़ंजीर निकल सकती है !!

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मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़ल

वो तो मास्क में भी कातिल लगती है 
अगर मास्क हटा दे तो हाय रब्बा
कयामत ही आ जाए ❣❣

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खुदा करे कि सारी उम्र मुझे मंज़िल ना मिले..
बड़ी मुश्किल से वो राजी हुआ है साथ चलने को..!!

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नहीं पसंद मोहब्बत में मिलावट हमकों, 
अगर आप मेरे हैं तो ख्वाब भी मेरे देखें!!

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हुस्न तो उसके दर का फ़कीर है साहब,
वो अपनी सादगी से बादशाहों को झुका देती है...!

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मिर्जा गालिब की दर्द भरी शायरी

तेरे जैसा कोई मिला ही नहीं
कैसे मिलता कहीं पे था ही नहीं...😊

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अंगुलियां टूट गई पत्थर तराशते तराशते
जब बनी सुरते यार तो खरीददार आ गये

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मुझको कोई बुलाता नही मेरे नाम से..!!
तोहमत अजीब मुझ पर तेरे नाम की लगी..!!

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लड़कियां ब्याही जाती है
सरकारी मुलाज़िमों से
ज़मीनों से दुकानों से,

बस वो ब्याही नहीं जाती तो
सिर्फ अपने प्रेमियों से..।

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मिर्ज़ा ग़ालिब इन उर्दू

शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी,
नाज़ से काम क्यूँ नहीं लेतीं;
ये आप, वो, जी, मगर ये सब क्या है,
तुम मेरा नाम क्यूँ नहीं लेती।

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मैं बना चुका हूं मोहब्बतों के दर्द की दवा 
जिसको भी चाहिए मुझसे राब्ता करे....!!

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कोई तस्वीर लगी होगी यहां..
दिल में इक कील गड़ी है अबतक..!! 

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मैं शहर की सड़क पर बैठा रहा तुमसे मिलने की आस से 
अब कोई बता रहा कि तुम गुज़र गई हो बाईपास से।

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